किसान वो
🌹 नमस्कार 🌹 प्रस्तुत कविता उस व्यक्तित्व को केंद्र में रखकर लिखी गयी है। जो अपनी समस्याओं को जानते हुए भी ,जन कल्याण की भावना से कार्य करता है।,,,,,,वह है एक 'साधारण किसान',,,, वह यह जानता है कि बारिश होने पर मेरे घर के छप्पर से सबसे पहले पानी टपकेगा , परन्तु फिर भी वह बारिश होने की इच्छा रखता है। सचमुच किसान ,बिधाता की सबसे सच्ची सेवा करता है। विधाता ने पेड़ पौधे बनाये और किसान भी पेड़ ,पौधे लगाता है। इस प्रकार वह उस परम पिता की सेवा करता है,,,,, 🌸 🌸🌸🌸🌸 देख जब बादल, घुमड़ते हैं आसमान, फूला न समाता है, प्यारा सा किसान वो। कर्मयोगियों कि भांति, दिन रात मेहनत , कर पालता है, परिवार इंसान वो। 🌼🌼 सृष्टा के काजों में, करके सहायता प्यारे, बन जाता है, अन्नदाता भगवान वो। टिप टिप वाला घर, भूलकर रोज रोज, ताकता ही रहता,